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चंद्रधर शर्मा गुलेरी

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चंद्रधर शर्मा  गुलेरी  [ जन्म - १८८३ ६० : मृत्यु - १९२२ ई० ] गुलेरीजीका जन्म काँगड़ा प्रान्तके गुलेर गांवमें हुआ था । इस लिए उनके नामः साथ ' गुलेरी ' जुड़ गया है । ये संस्कृत , प्राकृत , अंग्रेजी , पुरातत्त्व और भाषाशास्त्रक अच्छे जानकार थे । इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय में बी० ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणीमें पास की । इनकी योग्यता और विद्वताको देखकर मेयो कॉलेज , अजमेर अधिकारियोंने इन्हें तुरन्त संस्कृत का प्राध्यापक नियुक्त कर दिया । कुछ समयके वाद १९२० में ये हिन्दु विश्वविद्यालय , बनारसमें कॉलेज ऑफ ओरियन्टल लनग एण्ड थियोलॉजी प्रिसिपाल नियुक्त हुए । विश्वविद्यालय की सेवास मुक्त होकर ये जयपुरकी ज्योतिष वेधशालाक अधीक्षक बने । | अपने जीवन - कालमें गलेरीजीने केवल तीन ही कहानियां लिखी । पहली सुखमय जीवन दुसरी ‘ वका कांटा ' और तीसरी उसने कहा था । इस तीसरी कहानी के कारण गुलेरीजोका नाम हिन्दी कहानीकारोंम अमर हो गया । यह कहानी अक्तूबर १९ में ' सर स्वती ' में प्रकाशित हुई थी । तबसे लेकर आज तक इसकी लोकप्रियता ज्योकी त्यों बनी हुई है । इस कहानीमें प्रेम और बलिदानका बड़ा ही ...

Chandrandhar Sharma Guleri

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Chandrandhar  Sharma  Guleri  [Birth - 1883 60: Death - 1922 AD] Guleriji  was born in Gular village of Kangra province.  For this, his name: Together 'Guleri' has been added.they were well-versed in Sanskrit, Prakrit, English, Archeology and Linguistics .  He passed the Bachelor of Examination in First Class in Prayag University.  Seeing his merit and scholarship, Mayo College, Ajmer officers immediately appointed him Professor of Sanskrit.  He was appointed as the College of Oriental Learning and Theology Principal in the year 1920 in Banaras.  Being a university free service, he became the astrological observatory of Jaipur.  |  In his lifetime, Guleri wrote three stories only.  The first was " sukhamaya jivan " , the second was "Buddha's kata" and the third "usana kha tha".  Due to this third story,  Guleri's  name has become immortalized with Hindi story writers.  This story was published in Oct...